आरोपी एसडीएम विशा माधवानी।
मामले के व्हिसल ब्लोअर और बुरहानपुर प्रेस क्लब अध्यक्ष डॉ. आनंद दीक्षित ने बताया 2018-2019 में बोरबन तालाब निर्माण में 15 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। इसमें आधी राशि निर्माण और आधी राशि मुआवजे पर खर्च की गई। रामेश्वर कल्लू की 15 एकड़ जमीन शामिल थी, जिसे मुआवजे की राशि मिलना थी, लेकिन अफसरों व बैंक कर्मियों ने मिलकर हितग्राही के नाम का एक फर्जी खाता जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित खंडवा की शाखा तुकईथड में खुलवाया और 42 लाख रुपए निकाल लिए। बुरहानपुर कलेक्टर से शिकायत के बाद जांच एडीएम शैलेंद्र सिंह सोलंकी को सौंपी गई।
45 दिन तक चली जांच में एडीएम ने प्रारंभिक जांच में विशा माधवानी समेत उनके लिपिक पंकज पाटे, बैंक मैनेजर अशोक नागनपुरे, बैंककर्मी अनिल पाटीदार, होमगार्ड जवान सचिन वर्मा समेत इम्तियाज खान, संजय मावश्कर, फिराज खान आदि को दोषी पाया। नेपानगर पुलिस ने सभी 9 लोगों पर धोखाधड़ी समेत शासकीय राशि का गबन और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं केस दर्ज किया है।
बताया जा रहा है कि गुरुवार को बुरहानपुर पुलिस की ओर से कार में महिला पुलिस की टीम झाबुआ पहुंची थी। यहां माधवानी को हिरासत में लिया गया। पूछताछ के लिए बुरहानपुर लाया गया है। माधवानी के सरकारी बंगले पर ताला लटका है।
एसडीएम विशा माधवानी समेत
सभी 9 लोगों पर एफआईआर दर्ज
इन खातों में आई रकम
बोरबन तालाब योजना रामेश्वर कल्लू के परिवार की जमीन आई थी जमीन के कागजात पर 9 लोगों के नाम थे। परिवार के दो सदस्यों के नाम पर फर्जी खाता खोलकर फर्जीवाड़ा किया गया है। मुआवजे की पहली किस्त फर्जी खाता खोलकर चंदू मांगू के नाम पर 17.71 लाख रुपए 25 जुलाई 2020 को आई। 25 जुलाई से 2 अगस्त तक रकम की बंदरबांट चली। इसमें होमगार्ड जवान, बैंककर्मी, नेता, आधार कार्ड बनाने वाला कियोस्क संचालक, नोटरी और सहकारी समिति ऑपरेटर का नाम सामने आया है।
दूसरा फर्जी खाता कलावती कल्लू के नाम से तुकईथड़ के सहकारी बैंक में खोला गया। दोनों को 24 जून को पासबुक जारी की गई। कलावती के खाते में 15 अगस्त के आसपास 24.40 लाख रुपए आए। इसमें से भी अधिकारियों से लेकर गार्ड, ड्राइवर, बैंककर्मी और दलालों ने रुपए लिए।
ऐसे हुआ 42.11 लाख का फर्जीवाड़ा
बैंककर्मियों से एक दलाल ने बात की थी। पहले 10 लाख रुपए की मांग की जा रही थी। बाद में सौदा 5 लाख रुपए में तय होना बताया गया। सहकारी समिति ऑपरेटर ने 89 हजार रुपए लिए। होमगार्ड जवान ने पहले 50 हजार और बाद में 90 हजार रुपए निकाले। एक बार 16 लाख रुपए का लेन-देन भी हुआ। कियोस्क संचालक ने 90 हजार रुपए निकाले। धारणी के एक व्यापारी को एक लाख रुपए का भुगतान आरटीजीएस के माध्यम से किया गया। इसी तरह अन्य लोगों के बीच भी बंदरबांट कर 42.11 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया। यह रकम दो खातों से कम ज्यादा कर एक-दूसरे को बांटी गई।