डाॅ.जैन के खिलाफ शिकायत सौंपते पत्रकारगण
जबलपुर। विक्टोरिया अस्पताल में विकलांग प्रमाण पत्र के लिए पात्र लोगों को कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं, यह किसी से छुपा नहीं है। कभी फर्जी प्रमाण पत्र के लिए बेहद कुख्यात रहा जिला अस्पताल आज भी उसी ढर्रे पर चल रहा है। आरएमओ जैसे जिम्मेदार पद पर रहते हुए डाॅ.संजय जैन द्वारा काली कमाई करने के मामले का खुलासा हुआ है। इस संबंध में पत्रकारिता से जुड़े एक व्यक्ति द्वारा शिकायत करने पर सीएमएचओ ने उन्हें तत्काल पद से हटाकर डाॅ.पंकज ग्रोवर को यह जिम्मेदारी दे दी है। बताया गया है कि जिला प्रशासन व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को डाॅ.जैन के खिलाफ लम्बे समय से शिकायतें मिल रही थीं।
जिला अस्पताल में आरएमओ पद पर रहते हुए डाॅ.संजय जैन द्वारा अपने गुर्गों के माध्यम से अवैध कमाई करने की शिकायत पर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने तत्काल संज्ञान लिया और कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाया है। बताया जा रहा है कि एक व्यक्ति से विकलांग प्रमाण पत्र के एवज में पांच हजार रुपये की अवैध मांग की गई थी। इस बात की शिकायत जब कलेक्टर को की गई तो उन्होंने सीएमएचओ डाॅ.रत्नेश कुररिया को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। इस दौरान यह बात भी सामने आई है कि बिना पैसे दिए किसी भी व्यक्ति को प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता था और डाॅ.जैन ने इस कार्य के लिए गुर्गे भी पाल रखे थे।
जैन को हटाकर डाॅ. ग्रोवर को दी जिम्मेदारी
सीएमएचओ डाॅ.कुररिया ने बताया कि डाॅ.जैन के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं की शिकायत मिली है जिसके लिए जांच समिति का गठन कर दिया गया है। जिसकी रिपोर्ट आने पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि डाॅ.जैन से प्रभार वापिस ले लिया गया है।
क्या है पूरा मामला
पत्रकारिता से जुड़े सत्यजीत यादव ने शिकायत में बताया कि उनका भाई अभीजीत यादव, जो कि दोनो पैरों और रीड़ की हड्डी की बीमारी से ग्रसित है, एवं वह विकलांगता की क्षेणी में आता है। नवम्बर 2020 में उनके पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद फैमली पैन्शन के लिए मुझे अभीजीत की विकलांगता के दस्तावेज बनवाने के लिए कई दिनों से भटकाया जा रहा था। इस संबंध में सत्यजीत ने आरएमओ संजय जैन से सम्पर्क किया तो उन्होंने 16 जून 2021 को सुबह 10 बजे विक्टोरिया अस्पताल के ओपीडी कक्ष कमांक 30 में मिलने को कहा। आरएमओ द्वारा तय समय पर जब आवेदक वहाँ पहंुचा और लगभग ढाई घण्टे इन्तेजार करने के बाद आरएमओ संजय जैन जी उस कक्ष में
आये काफी देर तक अपना लेपटॉप चालु किया और फिर किसी को फोन लगाकर 5 कम्प्युटर और 5 आपरेटर के लिए किसी से फोन पर बात की। कमरे के बाहर कई लाचार विकलांग लोग सुबह 9 बजे से इन्तेजार कर रहे थे। आरएमओ ने वहां मौजूद कर्मचारी को निर्देशित किया कि सभी को जुलाई में आने का बोलकर वहाँ से भगा दो। इतना कहकर कमरे के पिछले दरवाजे से चले गये। जाते वक्त मुझे कुछ देर रुकने को कहा था। इस वजह से सत्यजीत वहाँ बैठा रहा। कुछ देर बाद संजय जैन वापिस आए और आवेदक सत्यजीत को एक कर्मचारी के साथ किसी से मिलने भेज दिया। उक्त व्यक्ति ने मामले को समझने के बाद कहा कि आप पत्रकार के परिचित के हो तो आप को डिस्काउन्ट हो जायेगा। आप 5 हजार रूपये दे दो। आवेदक ने तत्काल पैसे देने में असमर्थता जताई तो उस व्यक्ति ने इस मामले में फिर से डाॅ.संजय जैन से बात करने कहा। घटना की जानकारी मिलने पर सत्यजीत के कुछ पत्रकार साथियों आरएमओ से संपर्क करना चाहा तो उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किया। बाद में किसी तरह जब बात हो सकी तो उन्होंने फिर विक्टोरिया बुलाया। जहां कई घन्टे इंतजार करने के बाद मुलाकात हो सकी और उन्होंने जुलाई में आकर प्रमाण पत्र बनने का आश्वासन देकर टाल दिया।
क्या है पूरा मामला
पत्रकारिता से जुड़े सत्यजीत यादव ने शिकायत में बताया कि उनका भाई अभीजीत यादव, जो कि दोनो पैरों और रीड़ की हड्डी की बीमारी से ग्रसित है, एवं वह विकलांगता की क्षेणी में आता है। नवम्बर 2020 में उनके पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद फैमली पैन्शन के लिए मुझे अभीजीत की विकलांगता के दस्तावेज बनवाने के लिए कई दिनों से भटकाया जा रहा था। इस संबंध में सत्यजीत ने आरएमओ संजय जैन से सम्पर्क किया तो उन्होंने 16 जून 2021 को सुबह 10 बजे विक्टोरिया अस्पताल के ओपीडी कक्ष कमांक 30 में मिलने को कहा। आरएमओ द्वारा तय समय पर जब आवेदक वहाँ पहंुचा और लगभग ढाई घण्टे इन्तेजार करने के बाद आरएमओ संजय जैन जी उस कक्ष में
आये काफी देर तक अपना लेपटॉप चालु किया और फिर किसी को फोन लगाकर 5 कम्प्युटर और 5 आपरेटर के लिए किसी से फोन पर बात की। कमरे के बाहर कई लाचार विकलांग लोग सुबह 9 बजे से इन्तेजार कर रहे थे। आरएमओ ने वहां मौजूद कर्मचारी को निर्देशित किया कि सभी को जुलाई में आने का बोलकर वहाँ से भगा दो। इतना कहकर कमरे के पिछले दरवाजे से चले गये। जाते वक्त मुझे कुछ देर रुकने को कहा था। इस वजह से सत्यजीत वहाँ बैठा रहा। कुछ देर बाद संजय जैन वापिस आए और आवेदक सत्यजीत को एक कर्मचारी के साथ किसी से मिलने भेज दिया। उक्त व्यक्ति ने मामले को समझने के बाद कहा कि आप पत्रकार के परिचित के हो तो आप को डिस्काउन्ट हो जायेगा। आप 5 हजार रूपये दे दो। आवेदक ने तत्काल पैसे देने में असमर्थता जताई तो उस व्यक्ति ने इस मामले में फिर से डाॅ.संजय जैन से बात करने कहा। घटना की जानकारी मिलने पर सत्यजीत के कुछ पत्रकार साथियों आरएमओ से संपर्क करना चाहा तो उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किया। बाद में किसी तरह जब बात हो सकी तो उन्होंने फिर विक्टोरिया बुलाया। जहां कई घन्टे इंतजार करने के बाद मुलाकात हो सकी और उन्होंने जुलाई में आकर प्रमाण पत्र बनने का आश्वासन देकर टाल दिया।