विद्यामंत्र : श्रेष्ठ भाव से अभिषेक करने पर ही होती है गंधोदक की प्राप्ति - Khabri Guru

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विद्यामंत्र : श्रेष्ठ भाव से अभिषेक करने पर ही होती है गंधोदक की प्राप्ति


जबलपुर।
दयोदय तीर्थ तिलवाराघाट में चातुर्मास कर रहे आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि - हमारे गुरु ज्ञान सागर जी महाराज बताते हैं की गंध + उदक के योग से गन्धोदक बनता है जो भगवान की प्रतिमा का अभिषेक करने से प्राप्त होता है। उसे संभालकर माथे में लगाया जाता है केवल गंध + उदक से अर्थ नहीं निकाला जा सकता आगे भी पढ़ना होता है। 

निर्मलं निर्मली करणं, पवित्रं पाप नाशनं।
जिन गन्धेकं वन्द्र, अष्टकर्म विनाशकं

बाजार से गन्धोदक ले आओगे तो पाप का नाश कैसे होगा, उसे माथे पर हमेशा- हमेशा धारण करोगे तब भी पाप का नाश नहीं होगा।

गुरुदेव ने बताया कि गन्धोदक तो होता है लेकिन पाप नाशक गन्धोदक तब बनता है जब भगवान के मस्तक से शिरोधारा करने से वह बहकर चरणों तक आता है उसे गन्धोदक कहते हैं। जो व्यक्ति गन्धोदक में आस्था रखते हैं उनका रोग भी ठीक हो सकता है लेकिन आस्था ना रखने वालों के लिए कुछ नहीं। भगवान की शिरो धारा करने के उपरांत जिसे हम उज्जवल धारा मानते हैं, मस्तक में लगाने से इसके चमत्कारिक प्रभाव भी देखने मिलते हैं, यह पाप को नाश करके उपयोगिता बढ़ाता है। अच्छे भाव ही मनुष्य को मुक्ति दिलाते हैं।

भगवान का अभिषेक श्रेष्ठ भाव से करने से ही गन्धोदक बनता है, इसे किसी फैक्ट्री में नहीं बनया जा सकता। बच्चों को बाल्यकाल से ही यह श्रेष्ठ भाव बताने चाहिए ताकि वे श्रेष्ठ नागरिक बन सकें विद्यालय में भी यही गुण सिखाये जाने चाहिए। जो नियम बनाए जाते हैं उसका पालन करना चाहिए। दयोदय स्थल पाप के नाश के लिए है गुणों के वर्धन के लिए है इस लिए जो नियम बनाए गए हैं उसका सभी को पालन करना चाहिए।

आज आचार्यश्री को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य मोनी जैन, सुभाष जैन कटनी, ब्रह्मचारिणी सरोज दीदी इंदौर, ब्रह्मचारिणी एकता दीदी, तेजल दीदी मुंबई एवं ब्रह्मचारिणी कल्पना दीदी बंडा को प्राप्त हुआ। आहार सौभाग्य गौरव भैया दमोह, शोभा जैन एवं जितेंद्र जैन को प्राप्त हुआ

सीमित अवधि में मिल रहा प्रवेश
प्रशासन के निर्देश एवं कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए दयोदय में प्रवेश का समय निर्धारित किया गया है। आचार्य श्री के दर्शन , गुरुपूजन एवं आहारचर्या का समय प्रातः 8:30 बजे से 11:00 बजे तक रहेगा। पूर्वान्ह 11:00 बजे से 5:00 बजे तक दयोदय परिसर को पूर्णतः खाली कराकर कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा, तत्पश्चात सायं 5:00 बजे आचार्यश्री की गुरु भक्ति के समय दर्शन लाभ मिलेगा उसके बाद पुनः दयोदय परिसर खाली कराया जाएगा। इसके उपरांत श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित रहेगा। देश में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए यह निर्णय लिए गए हैं ताकि गुरुदेव, मुनि संघ एवं श्रद्धालु संक्रमण से सुरक्षित रह सके।

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