विद्यामंत्र : व्यक्ति के चरित्र का निर्माण बचपन से प्रारम्भ होता है, दयोदय तीर्थ में चातुर्मास कलश स्थापना संपन्न - Khabri Guru

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विद्यामंत्र : व्यक्ति के चरित्र का निर्माण बचपन से प्रारम्भ होता है, दयोदय तीर्थ में चातुर्मास कलश स्थापना संपन्न


जबलपुर। दिगंबर मुनि 4 माह के लिए एक स्थान पर सीमित साधनों से आत्म साधना का संकल्प लेते हुए समय व्यतीत करते हैं, यह संकल्प हमने ले लिया है। अब आप भी संकल्प लेकर इन 4 माह में आत्म साधना करें और अहिंसा संकल्प का पालन करें, सुख, शांति पूर्वक हिंसा से दूर रहे। यह उद्गार आचार्य विद्या 
सागर जी महाराज ने तिलवारा घाट स्थित दयोदय तीर्थ में चातुर्मास कलश स्थापना के दौरान व्यक्त किये। 

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमें यह दुर्लभ जीवन मिला है। हम इसका पालन 100% अहिंसा मार्ग अपना कर करें और बच्चों को भी अच्छे संस्कार दें। माता-पिता के संस्कारों के कारण ही बच्चे संस्कारित होते हैं। आज छोटे-छोटे बच्चे संकल्पित होकर आहार देने तत्पर होते हैं, यह आपके ही संस्कार हैं। बच्चों के चरित्र का प्रारंभ बचपन से होता है इनका आपको ध्यान रखना है। बच्चों का लालन पालन शाकाहारी और प्रभु आराधना वाले घर में हुई है इसीलिए यह बच्चे भी संस्कारित हुए हैं। बच्चों को जो संस्कार दिए जाते हैं वह आगे जाकर संसार के सामने सद्गुणों के साथ प्रकट होते हैं। यह बताते हैं कि धर्म क्या है और संस्कार क्या होते हैं। जब बच्चा 8 वर्ष का होता है और आपके साथ चलने लगता है तब से ही संस्कार की नींव रखी जाती है।

आत्म सम्मान दिला रहे हथकरघा उत्पाद
आचार्य श्री ने हथकरघा द्वारा निर्मित वस्तुओं का महत्व बताते हुए कहा कि गांधी जी ने कहा था कि हथकरघा जीवन मंत्र है। आज अहिंसक रूप से निर्मित वस्त्र हथकरघा से ही निर्मित हो सकते हैं। दिव्यांग बंधु हथकरघा से ऐसी कलाओं का निर्माण कर रहे हैं जिस पर कोई विश्वास नहीं कर सकता। गांव की महिलाएं, बेटी, लड़कियां हथकरघा की विश्व स्तरीय वस्तुओं का निर्माण कर रहे हैं और आत्म सम्मान प्राप्त कर रहे हैं।

आयुर्वेद का विश्व ने लोहा माना
आचार्य श्री ने आयुर्वेद की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आयुर्वेद 3000 से 4000 वर्ष पूर्व का ज्ञान है। यह आयुर्वेद के ग्रंथों में लिखा गया है और इसके प्रत्येक शब्द प्रत्येक लाइन पर उस समय शोध किया गया था जो आज भी निरंतर जारी है। आज इन 2 वर्षों में जो महामारी आई उसमें भी आयुर्वेद की महत्ता प्रमाणित हुई है। आयुर्वेद ने बहुत सी जिंदगी है सुरक्षित की है। इसने प्रमाणित कर दिया कि आयुर्वेद शास्त्र आज प्रासंगिक है और शोध के द्वारा लिखे गए है ।

अकाल मृत्यु को टालने एकमात्र उपाय आयुर्वेद है यह हमारे आयुर्वेद ग्रंथों में लिखा है। आज जो चिकित्सा पद्धति लोकप्रिय है वह मात्र 200 वर्षों पूर्व ज्ञात की गई लेकिन आयुर्वेद तीन चार हजार वर्ष पूर्व पूर्ण शोध के साथ विकसित की गई अहिंसक पद्धति है जो अब वैज्ञानिक भी प्रमाणित कर रहे हैं। अकलंक देव कहते हैं कि मृत्यु तो निश्चित है उसे टाला नहीं जा सकता लेकिन आकस्मिक या अकाल मृत्यु को ज्ञान से टाला जा सकता है यही ज्ञान आयुर्वेद है ।

जबलपुर वाले सौभाग्यशाली हैं कि यहां पूर्णायु आयुर्वेद औषधि केंद्र बनाया जा रहा है, जो शुद्ध और अहिंसक आयुर्वेद का केंद्र होगा ऐसी मेरी आशा है । जिस तरह अंतराय रहित आहार का महत्व है उसी तरह शुद्ध और शास्त्र पद्धति से निर्मित औषधि का भी महत्व है। आचार्य श्री ने कहा कि मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि आपका सबका तन, मन ,शुद्ध रहे और सभी स्वस्थ रहें

इन्हें मिला कलश स्थापना का सौभाग्य
दयोदय तीर्थ गौशाला स्थित पूर्णायु आयुर्वेद परिसर में आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के चातुर्मास कलश की स्थापना का सौभाग्य एचडीएफसी म्युचुअल फंड के डायरेक्टर प्रशांत जैन मुंबई, प्रकाश एवं पवन चौधरी जबलपुर, कैलाश चंद्र सौरव जैन जबलपुर, दिलीप बड़जात्या जसपुर, चिंतामणि सवाई मल जैन मुंबई, राजा भैया सूरत, सुगंधी जैन संदेश जैन स्टार ग्रुप, जयकुमार चक्रेश मोदी, संतोष ठेकेदार नागपुर, छोटे लाल जैन जबलपुर, ब्रह्मचारिणी सुषमा दीदी, डॉक्टर सुभाष शाह मोनिका शाह मुंबई, आशीष जैन लालू, इंदुमती प्रवीण शाह अमेरिका, राजा जैन नीरज जैन पलक, अरविंद जैन चावल वाले, राय सेठ नंद कुमार चंद्र कुमार जैन, सुधीर जैन सिद्धार्थ जैन एवं संतोष भाईजी सुधीर जैन को प्राप्त हुआ कार्यक्रम का संचालन ब्रह्मचारी विनय भैया एवं अमित जैन पडरिया ने किया।

सीमित अवधि में मिलेगा प्रवेश
बताया गया है कि सोमवार से प्रातः 8:00 से 11:00 बजे आचार्य पूजन, आहारचर्या एवं संध्या 5:00 बजे गुरु भक्ति हेतु श्रद्धालु दयोदय तीर्थ में प्रवेश कर सकेंगे। 

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