पूर्व जल संसाधन मंत्री अनूप मिश्रा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उन्होंने जल संसाधन एवं ग्वालियर जिले के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट को पत्र लिखकर कहा है कि ग्वालियर चम्बल संभाग के जिलों में आई बाढ़ के लिए कुदरत से ज्यादा जल संसाधन विभाग के अधिकारी दोषी हैं। अधिकारियों ने मौसम विभाग की चेतावनी को दरकिनार करते हुए 2 अगस्त को पानी क्यों छोड़ा जबकि मड़ीखेड़ा के क्षेत्र में पहले से बारिश हो रही हैं मौसम विभाग ने 25-26 जुलाई से ग्वालियर चम्बल संभाग के लिए अलर्ट जारी किया हुआ था लेकिन जल संसाधन विभाग के अधिकारी अलर्ट नहीं हुए और जब मड़ीखेड़ा पूरा भर गया तो सभी गेट खोल दिए जिसका खामियाजा गांव के गांव डूबने के रूप में सामने आया है।
अनूप मिश्रा ने कहा कि ग्वालियर चम्बल में बांधों की एक श्रंखला है, हमारे पास अटल जी की नदी जोड़ो परियोजना माध्यम से बांध के पानी को डायवर्ट करने का सिस्टम बना हुआ है। जल संसाधन के अधिकारियों ने मड़ीखेड़ा का पानी हरसी को नहीं दिया, हरसी का पानी किसानों को नहीं दिया, अपर ककेटो का पानी ककेटो में जाता है फिर पेहसारी के जरिये तिघरा में आता है लेकिन पानी को डायवर्ट ही नहीं किया।
उन्होंने कहा कि यदि तिघरा को पानी दे दिया जाता तो इंटर कनेक्ट बांध में जलस्तर सामान्य बना रहता और तिघरा भर जाता लेकिन इतनी बारिश होने के बाद भी तिघरा खाली है , ग्वालियर के आसपास के दूसरे बांध जो आपस में जुड़े हुए हैं वो भर जाते जिससे जलस्तर बढ़ता और सिंचाई का रकबा बढ़ता लेकिन जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने ना तो संभाग कमिश्नरों और ना ही शिवपुरी , ग्वालियर या अन्य जिलों के कलेक्टररों से बात की। जिसका नतीजा सबके सामने हैं।
अनूप मिश्रा ने साफ़ शब्दों में कहा कि ये ग्वालियर चम्बल के जिलों में आई बाढ़ जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही हैं इसलिए दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाये। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संवेदनशील मुख्यमंत्री बताते हुए उन्हें धन्यवाद दिया कि हालातों को समझते हुए वे आज बुधवार को ग्वालियर चम्बल संभाग का दौर करने आये और भरोसा दिलाया कि सरकार सबकी चिंता कर रही है।