जबलपुर। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर किए जाने के निर्णय को मप्र के पूर्व वित्त मंत्री तरुण भानोत ने कुंठा, पूर्वाग्रह व कुत्सित मानसिकता का परिचायक बताया है। अपने ट्वीटर एकाउन्ट के माध्यम से टिप्पणी करते हुए उन्होंने सरकार के इस फैसले को निन्दनीय बताया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विगत दिवस एक बड़ा फैसला लेते हुए राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदल दिया है। आपको बता दें कि मोदी सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद को समर्पित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। इस फैसले पर जाहिर तौर पर किसी भी राष्ट्रीय नेता ने कोई टिप्पणी नहीं की थी। गांधी परिवार ने भी इस मामले में कुछ नहीं बोला। वजह थी राजीव गांधी के नाम की जगह हाॅकी के अद्वितीय खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद का नाम इस अवार्ड के साथ जोड़ने का ऐतिहासिक फैसला। वहीं मप्र के पूर्व वित्त मंत्री तरुण भानोत ने जरूर इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इतना ही नहीं उन्होंने यह ट्वीट प्रदेष कांगे्रस अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा को भी टैग किया है।
ट्वीटर पर यह लिखा भानोत ने
ट्वीटर पर पूर्व मंत्री भानोत ने लिखा है कि केन्द्र में भाजपा की सरकार ने भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर दिया जाने वाले खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर महान हाॅकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के नाम पर कर दिया है। ये कुंठा, पूर्वाग्रह, कुत्सित मानसिकता का परिचायक है। उन्होंने आगे लिखा है कि ध्यानचंद महान हाॅकी खिलाड़ी हैं, इसमें कोई दो मत नहीं है। लेकिन राजीव गांधी जी का बलिदान और उनका कृतित्व देश कभी भुला नहीं सकता। सरकार का ये फैसला निंदनीय है।
कुछ भी कहने से बच रहे विपक्ष के नेता
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काफी सोच-समझकर यह बेजोड़ दांव चला है। एक ओर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम देश के सर्वोच्च खेल अवार्ड से आसानी से अलग कर दिया वहीं मेजर ध्यानचंद का नाम जोड़कर विपक्ष के मुंह पर ताला जड़ दिया है। विपक्ष के नेता किसी भी तरह मेजर ध्यानचंद के नाम को गलत नहीं कह सकते हैं। गौरतलब है कि मेजर ध्यानंचद को भारत रत्न सम्मान दिए जाने की मांग भी लम्बे समय से चल रही है लेकिन उस पर फैसला नहीं हो पा रहा है। अब खेल का सर्वोच्च अवार्ड उनके नाम से होने पर वह मांग कितनी मजबूती के साथ स्थिर रहती है यह अभी नहीं कहा जा सकता है।