जबलपुर। दयोदय तीर्थ पूर्णायु परिसर में आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज ने रविवार की प्रवचन माला में कहा कि विकास की बात हर क्षेत्र में हो रही है जब अच्छाई की ओर जाते हैं तो वह विकास है और यदि अनियंत्रित हो जाए तो विनाश हो जाता है। जैसे शरीर का विकास होना अत्यंत आवश्यक है लेकिन विकास के नाम पर बढ़ती चर्बी मनुष्य को विनाश की ओर ले जाती है। यानी विपरीत तत्वों का विकास ना हो यह सावधानी मानव शरीर में भी रखनी चाहिए और देश के विकास में भी।
बच्चे के लिए क्या हानिकारक है इसका बोध उसे नहीं होता लेकिन जिन्हें इसका बोध होता है उन्हें फुर्सत नहीं है कि बच्चों को समझा दें। विकास और विनाश के दोनों बिंदुओं के बारे में समझ आवश्यक है। दुनिया में अनेक राष्ट्र विकासशील है। भारत को भी विकासशील कहा जाता है। यह बात समझना अत्यंत कठिन है की भारत को विकासशील क्यों मानते हैं? मुझे संतोषजनक उत्तर कभी नहीं मिला। जब मैं विकसित राष्ट्र के बारे में पूछता हूं कि कौन से राष्ट्र विकसित हैं तब भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता। जिन्हें आप विकसित राष्ट्र कहते हैं वह कौन से आदर्शों का पालन कर रहे हैं। आज विकसित राष्ट्र बनने की होड़ सी मची है लेकिन आदर्शों की बात कोई नहीं करता। करोना महामारी में तो यह भी पता चल गया कि कौन राष्ट्र विकसित है और कौन से विकासशील कौन से अविकसित। पूरी दुनिया ने एक साथ महामारी को झेला, चाहे वह विकसित हो या अविकसित, सभी का भेद खुल गया। कई विकसित देशों में विकासशील देशों से ज्यादा महामारी का असर हुआ।
पूर्व राष्ट्रपति कलाम साहब कहते थे कि मैं भारत को विकासशील राष्ट्र नहीं मानता क्योंकि वह इस धारणा से कभी विकसित राष्ट्र नहीं बन पाएगा हमें विश्वास होना चाहिए हम प्रगति पथ पर है। अमेरिका या अन्य राष्ट्र जो पैदा कर रहे हैं और जो बेच रहे हैं उससे ही उन्हें विकसित राष्ट्र माना जाता है। भारत को यदि विकसित राष्ट्र बनाना है तो हम क्या उत्पादन कर रहे हैं ,क्या उपभोग कर रहे हैं जो हमारे देश पर, हमारे नागरिकों के लिए अनुकूल है यह याद रखना आवश्यक है। यह भी आवश्यक है कि आय के अनुसार ही व्यय किया जाएं, क्या जब भी फूंकोगे दीपक बुझेगा ? ऐसा नहीं है कि हमेशा फूंक से आग बुझती ही है? ऐसा नही है नियंत्रित फूंक से अग्नि प्रज्वलित भी होती है इसका उदाहरण सोने का काम करने वाले सुनार के पास देखा जा सकता है वह नियंत्रित फूंख से सोने में विकास करता है जिस से सोने की मूल्य वृद्धि कर देता है। इसी तरह नियंत्रित कार्य राष्ट्र को विकास की ओर ले जा सकता हैं। अभी भारत की नीति आय से अधिक व्यय की है जिसे बदल कर भारतीय संस्कृति के अनुरूप किया जाना चाहिए।
क्या विकसित राष्ट्र यह बता पा रहे हैं की करोना कब आया, कब तक रहेगा, कब जाएगा नहीं। वह दवाइयां भेज रहे हैं जिनमें पहले से ही एक्सपायरी डेट यानी उन दवाइयों की मृत्यु दिनांक लिखी होती है। परंतु भारतीय आयुर्वेद 2000 वर्षों से हर तरह के इलाज मैं सक्षम है।आयुर्वेद में कभी भी एक्सपायरी डेट नहीं होती बल्कि अनेक औषधियां समय के साथ ज्यादा उपयोगी हो जाती है। भारत में भोजन को ही औषधि माना जाता है यदि उत्तम, नियमित, शुद्ध भोजन किया जाए तो औषधि की आवश्यकता ही ना पड़े , आज विकसित देश भी इस भोजन पद्धति को अपनाने की राह पर है। भारतीय संस्कृति, ज्ञान, देश की शिक्षा नीति, चिकित्सा नीति का यदि पूरा उपयोग किया जाए तो हम विकसित राष्ट्र हो सकते हैं, जिसे कोई नकार नहीं सकता आज हम अपने हजारों वर्षों की संस्कृति, परंपरा और ज्ञान छोड़कर पाश्चात्य देशों की ओर भाग रहे इसीलिए विकसित नहीं विकासशील ही कहला रहे हैं।
आज सुबह आचार्य भगवन की पूजन करने का परम सौभाग्य लार्डगंज जैन मंदिर ट्रस्ट कमेटी एवं लार्डगंज जैन मंदिर महिला परिषद को प्राप्त हुआ। साथ ही परम् तपस्वी आचार्य महाराज जी को पड़गाहन कर आहार कराने का परम सौभाग्य मनोज जैन (कुमार स्टोर्स) एवं उनके परिजनों को प्राप्त हुआ।