जबलपुर। दस साल में शहर की सड़कों की मरम्मत के नाम पर 160 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च कर दी गई। इसके बावजूद यहां की अधिकांश सड़कें चलने लायक नहीं बची हैं। सीवर लाइन के निर्माण की तर्ज पर बीते एक दशक में सड़कों के निर्माण और मरम्मत में 160 करोड़ से अधिक रुपए खर्च किए गए, लेकिन जनता के हिस्से में सिर्फ गड्ढे ही आये हैं।
शहर में इस समय दो दर्जन से अधिक सड़कें हैं जिनमें तुरंत सुधार की जरूरत है। इनमें चलने के दौरान गड्ढों के बीच सड़क को तलाशना पड़ रहा है। बरसात के सीजन में लोगों के लिए मुसीबत बनी सड़कों को लेकर नगर निगम ईई आरके गुप्ता कहते हैं कि जहाँ पर अभी सड़कें ज्यादा खराब हैं उनको बारिश के तुरंत बाद सुधारा जाएगा और जो सड़क गारण्टी पीरियड में है उनमें लगातार मरम्मत भी की जा रही है।
स्मार्ट सिटी में ये कैसा "स्मार्ट' वर्क
गोलबाजार में बीते कई महीनों से किनारे के हिस्से में नाली का निर्माण किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट है। अभी हाल ये है कि नाली की मिट्टी पूरी सड़क पर मोटी परत के साथ लिपट गई है और जैसे ही थोड़ी सी रिमझिम बरसात होती है तो वाहन चालक इस मार्ग पर फिसलकर गिरते हैं। अधिकारी माॅनीटरिंग नहीं कर रहे, खामियाजा जनता भुगत रही है।
गुणवत्ताहीन सड़कों की परतें उधड़ीं
शहर में करीब एक दर्जन से अधिक सड़कें बीते 10 सालों में गुणवत्ताहीन निर्माण की वजह से चलने लायक नहीं बची हैं। इन सड़कों पर कई जगह गड्ढे हो गए है। शाहनाला से मेडिकल तक गिट्टियाँ उभरीं हैं। वहीं आनंद कुंज से गढ़ा बाजार, पण्डा की मढ़िया से पुरवा तक की सड़क भी चलने योग्य नहीं बची है। बल्देवबाग से दमोहनाका तक दोनों हिस्से और रानीताल से गढ़ा फाटक तक सड़कों से कुछ माह में ही ऊपरी परत गायब हो गई है।
इन सड़कोें में भी हैं खतरनाक गड्ढे
चंचलाबाई काॅलेज से गेट नंबर 2 की ओर।
गेट नंबर दो से रानीताल चौराहे तक।
रानीताल चौराहे से टेलीग्राफ हनुमान मंदिर।
गेट नंबर दो से गेट नंबर चार की ओर।
गेट नंबर चार से टेलीग्राफ की चढ़ाई तक।
गेट नंबर चार से मदन महल की ओर।
दमोहनाका से बल्देवबाग की ओर।
रानीताल से भाजपा कार्यालय के सामने।
स्टेट बैंक रीजनल आफिस से घड़ी चौक।
गंगासागर से आमनपुर की ओर।
गौतम मढ़िया से गुलौआ चौक की ओर
गोहलपुर नई बस्ती से अमखेरा तक।
अहिंसा चौक से स्टेट बैंक काॅलोनी।
धनवंतरी नगर से अंध-मूक बायपास तक।
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