तपस्या, त्याग, संयम एवं करुणा की मूर्ति हैं शिव - Khabri Guru

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तपस्या, त्याग, संयम एवं करुणा की मूर्ति हैं शिव

 

जबलपुर। पावन श्रावण मास में आज पंच दिवसीय शिव चरित्र पर प्रवचन ग्वारीघाट स्थित साकेत धाम में रामेश्वरम महादेव के समक्ष स्वामी गिरिशानंद सरस्वती जी ने प्रारम्भ किये।

महाराज श्री ने शिव चरित्र का वर्णन करते हुए  कहा कि शिव तपस्या, त्याग, संयम एवं करुणा की मूर्ति हैं। शिव पूजन से प्राणी में उपरोक्त गुण पैदा होते हैं। शिव की उपासना करने वाले में अगर त्याग, दया व संयम नहीं है तो विचार कर लेना चाहिए कि साधना में त्रुटि अवश्य रह गई है। मर्यादा को तोड़ने वाले जीव को शिव स्वीकार नहीं करते। जब माता सती शिव के वचनों पर विश्वास न करते हुए श्री राम की परीक्षा लेने के लिए सीता का रूप बनाकर गई तो राम जी ने सीता रूप में आई हुई माता सती की चरण वंदना की एवं भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया। भगवान शिव को जब सारी घटना का पता चला कि माता सती ने मर्यादा की पालन नहीं किया है तभी शिव ने अपनी अर्धांगिनी सती का मन से परित्याग कर दिया।

महाराज श्री ने बताया कि शिव का अर्थ है कल्याण, शांति, अविनाशी और प्रकाशमान। शिव उपासक को सांसारिक बंधन बांधकर नहीं रख सकते। महादेव हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। शिव पूजन से समस्त देवताओं के पूजन का फल मिलता है।

रामेश्वरम महादेव एवं महाराज श्री का पूजन गीता वैधनाथ मिश्रा दिल्ली, भगवान दास धीरवानी, रमेश नवेरिया, सुनील चौरसिया, रामभारती महाराज, दिलीप चतुर्वेदी ने किया। पूजन पंडित सौरभ दुबे, दीपक शर्मा, संजय मिश्रा ने सम्पन्न कराया।

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