विद्यामंत्र : वासना, विषय, कषाय यह अज्ञानता के मार्ग हैं। - Khabri Guru

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विद्यामंत्र : वासना, विषय, कषाय यह अज्ञानता के मार्ग हैं।


जबलपुर।
पूर्णायु परिसर दयोदय तीर्थ गौशाला में शुक्रवार को आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा कुछ लोग जो दीक्षा लेने आए हैं , वह आज बहुत प्रसन्न है जीवन भर अर्थ संग्रह किया, काम धंधा किया , बुढ़ापे तक दुकान ,काम- धंधा नहीं छूट रहा था, पिताजी दादाजी जो भी है काम करते ही रहते , अब यह नियम पूर्वक मोक्ष मार्ग पर प्रशस्त होंगे। जीवन की दशा यह है कि जीवन पर्यंत काम करना और जीवन को यथार्थ रूप में भोगते रहना। इसे देखकर हमें ऐसा लगता है कि इन्हें जैन धर्म के नियमों का अध्ययन करना चाहिए। अध्ययन से योग्यता बढ़ती है।

आचार्य श्री ने कहा कि संतान हो जाने से पति पत्नी की आपस में दृष्टि हटती जाती है क्योंकि उसका पूरा ध्यान बच्चे के लालन पालन की दिशा, संस्कार देने में लग जाता है। वस्तुतः वासना- विषय ,कषाय यह अज्ञानता के मार्ग हैं। एक ही संतान होने का कोई नियम नहीं है लेकिन संयम के कारण यह नियम बंध जाता है। आचार्य कहते हैं कि जो इस विषय को अध्ययन का विषय बनाते हैं वही समझ सकते हैं। अन्य तो वासना के कारण विषयों और कषायों की ओर दृष्टि लगाए रहते हैं। जिसे धर्म की ओर लगाना चाहिए इसलिए धर्म अध्ययन किया करो तभी वैराग्य सामने आएगा।

पांच पापों से विराम आना चाहिए
मन में पांच पापों से घबराहट होने चाहिए , हमें जीवन में सम्यक भाव रखना चाहिए सिर्फ अपने बारे में , अपना स्वार्थ सोचते रहते हैं या मिथ्या है ये आपको क्यों समझ में नहीं आता। आपने सुना होगा कि पूर्वज सुबह और शाम भोजन की प्रवृत्ति रखते थे परंतु आज पूरे दिन कुछ ना कुछ खाते रहते हैं। इसलिए मनुष्य आलस की ओर चला गया है पूर्वज कम खाते थे परिश्रम करते थे इसलिए स्वस्थ रहते थे। बच्चों को भी समझाईश देते थे कि कम खाओ खूब खेलो और नियम संयम से रहो।

आचार्य श्री कहते हैं कि सबसे पहले ब्रह्मचर्य आश्रम फिर गृहस्थ आश्रम फिर वन्याप्रस्था आश्रम और फिर सन्यास आश्रम का विधान है। सन्यास आश्रम में दृष्टि डालने के पूर्व अपनी संतान को श्रेष्ठ संस्कार देना चाहिए। अपने आजीविका की विद्या- कला से पारंगत करना चाहिए। जीवन में हर आश्रम हेतु समय निर्धारित है। सन्यास की ओर तब आए जब संतान के अंदर अच्छे संस्कार हो, तब वह पिता को सन्यास के लिए प्रेरित कर सहमति दे। हमें भी खुशी है कि यह अब सब हमारे मार्ग में आ रहे हैं। पहला कदम शास्त्रों के अनुसार उठाना पड़ेगा। इनके पूर्व जन्मों के श्रेष्ठ कर्मों के कारण आज यह मोक्ष मार्ग पर चलने का पहला कदम उठा रहे हैं, और अब मेरी ओर आ रहे हैं। जिस तरह फुग्गा हल्का हो जाता है और ऊपर उड़ जाता है उसी तरह यह भी सभी सांसारिक सुख छोड़कर आज हल्का महसूस कर रहे हैं। 

दयोदय तीर्थ में आज आचार्य श्री के सामूहिक पूजन का सौभाग्य दिगंबर जैन सोशल ग्रुप जबलपुर नगर एवं शास्त्र अर्पित करने का सौभाग्य सीए मनीष कौशल एवं संजीव चौधरी को प्राप्त हुआ। 

कल दी जाएगी छुल्लक दीक्षा
दीक्षार्थियों के गृहनगर के अलावा जबलपुर में भी दीक्षा पूर्व बिनोली, मेहँदी आदि के मांगलिक कार्यक्रम आयोजित किये गए। इसके उपरान्त आज दीक्षार्थियों का केशलोंच कार्यक्रम भी दिन में जारी रहा। दीक्षार्थियों के परिजन एवम अन्य निकटतम बन्धुओं का आगमन भी जबलपुर में होने लगा है। गुरुकृपा से सब ओर उत्साह का संचार देखने मिल रहा है। दीक्षा कार्यक्रम कल 14 अगस्त को दोपहर 1 बजे से, दयोदय तीर्थ, गौशाला तिलवारा घाट जबलपुर में सम्पन्न होगा।

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