जबलपुर। नर्मदा तटों पर बसी बस्तियों से निकलने वाली गंदगी ने जीवनदायिनी मां नर्मदा को इतना प्रदूषित कर दिया है कि यहां का जल आचमन करने लायक भी नहीं बचा है। इस बात का खुलासा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) की तरफ से पेश जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। पीसीबी ने इस रिपोर्ट में बताया है कि जबलपुर के ग्वारीघाट, तिलवाराघाट, भेड़ाघाट सहित नर्मदा किनारे बसे गांवों की गंदगी सीधे नर्मदा में मिल रही है। जबलपुर में रोज 136 एमएलडी सीवरेज की गंदगी नर्मदा में मिल रही है।
नागरिक उपभोक्ता मंच ने नर्मदा में मिल रही गंदगी को लेकर एनजीटी में याचिका लगाई थी। इसमें नर्मदा किनारे हो रहे निर्माण और अतिक्रमणों की भी जानकारी दी थी। इस पर एनजीटी ने 20 फरवरी 2021 को मुख्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कलेक्टर्स को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए थे।
एनजीटी ने जारी किया 70 पेज का आदेश
याचिकाकर्ताओं की ओर से एनजीटी में पक्ष रखने वाले अधिवक्ता प्रभात यादव ने बताया कि जब कार्रवाई नहीं हुई तो एक्जीक्यूटिव याचिका दायर की गई। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 16 जुलाई 2021 को मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को शहरवार नर्मदा में मिल रही गंदगी की जानकारी मांगी थी। पीसीबी ने 23 सितंबर को नर्मदा में गंदी मिलने की रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी थी।
ग्वारीघाट : नर्मदा में यहीं से मिलती है सीवरेज की गंदगी |
रिपोर्ट में नर्मदा में मिल रही गंदगी का ब्योरा
ओंकारेश्वर 0.32 एमएलडी, महेश्वर 4.8 एमएलडी, बड़वाह में 3.2 एमएलडी, बड़वानी में 3.6 एमएलडी, नेमावर में 0.98 एमएलडी, बुधनी में 1.5 एमएलडी, जबलपुर में 136 एमएलडी, भेड़ाघाट में 0.63 एमएलडी, डिंडौरी में 8.03 एमएलडी, होशंगाबाद में 10 एमएलडी, खलघाट धार में 1.7 एमएलडी और धरमपुरी में 1.7 एमएलडी में सीवरेज रोज मिल रहा है।
इन बिंदुओं पर कार्रवाई के निर्देश
21 अक्टूबर को एनजीटी ने इस याचिका का निराकरण कर दिया। नर्मदा किनारे वाले जिलों के कलेक्टर्स को पांच बिंदुओं पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अधिवक्ता प्रभात यादव के मुताबिक एनजीटी के जस्टिस शिवकुमार सिंह और एक्सपर्ट मेंबर अरुण कुमार वर्मा ने नर्मदा किनारे बसे शहरों और गांवों के जिला कलेक्टर्स को पांच बिंदुओं पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
👉 फ्लड जोन का सीमांकन कर उनमें हुए अतिक्रमणों पर संबंधित अधिकारियों को जवाबदेही तय करें।
👉 जल गुणवत्ता पर कलेक्टर्स कार्रवाई करें।
👉 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर एक्शन प्लान कलेक्टर्स बनाएं।
👉 ग्वारीघाट, तिवाराघाट के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट संबंधी कार्रवाई और ललपुर कठौंदा प्लांट को समयबद्ध तरीके से चालू करें।
👉 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दोषियों पर कार्रवाई कर उनसे मुआवजा वसूले।
ओंकारेश्वर 0.32 एमएलडी, महेश्वर 4.8 एमएलडी, बड़वाह में 3.2 एमएलडी, बड़वानी में 3.6 एमएलडी, नेमावर में 0.98 एमएलडी, बुधनी में 1.5 एमएलडी, जबलपुर में 136 एमएलडी, भेड़ाघाट में 0.63 एमएलडी, डिंडौरी में 8.03 एमएलडी, होशंगाबाद में 10 एमएलडी, खलघाट धार में 1.7 एमएलडी और धरमपुरी में 1.7 एमएलडी में सीवरेज रोज मिल रहा है।
इन बिंदुओं पर कार्रवाई के निर्देश
21 अक्टूबर को एनजीटी ने इस याचिका का निराकरण कर दिया। नर्मदा किनारे वाले जिलों के कलेक्टर्स को पांच बिंदुओं पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अधिवक्ता प्रभात यादव के मुताबिक एनजीटी के जस्टिस शिवकुमार सिंह और एक्सपर्ट मेंबर अरुण कुमार वर्मा ने नर्मदा किनारे बसे शहरों और गांवों के जिला कलेक्टर्स को पांच बिंदुओं पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
👉 फ्लड जोन का सीमांकन कर उनमें हुए अतिक्रमणों पर संबंधित अधिकारियों को जवाबदेही तय करें।
👉 जल गुणवत्ता पर कलेक्टर्स कार्रवाई करें।
👉 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर एक्शन प्लान कलेक्टर्स बनाएं।
👉 ग्वारीघाट, तिवाराघाट के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट संबंधी कार्रवाई और ललपुर कठौंदा प्लांट को समयबद्ध तरीके से चालू करें।
👉 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दोषियों पर कार्रवाई कर उनसे मुआवजा वसूले।