जबलपुर। आज मप्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा आयोजित जनसुनवाई में फेडरेशन ऑफ मप्र चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष तथा जबलपुर चैम्बर ऑफ कॉमर्स से हिमांशु खरे ने प्रस्तावित विद्युत दरों में वृद्धि का कड़ा प्रतिकार किया। उन्होंने कहा कि विभिन्न कंपनियों द्वारा जारी ऑडिट रिपोर्ट व बही खाते की सूक्ष्म जांच होना चाहिए ताकि हानि के गूढ़ कारणों का पता चल सके।
निःशुल्क बिजली प्रदाय करना बंद हो
हिमांशु खरे ने अपनी आपत्ति में कहा कि विद्युत उत्पादन व वितरण की एक तय कीमत होती है तथा उसे निःशुल्क तौर पर फ्री बांटना बंद करना होगा। फ्री में प्रदाय की गई विद्युत का असली खामियाजा ईमानदार उपभोक्ताओं को चुकाना पड़ता है।
सरप्लस बिजली तो महंगी क्यों
उन्होंने बताया कि प्रदेश में मांग से ज़्यादा विद्युत आपूर्ति है। अर्थशास्त्र के अनुसार जब मांग से अधिक आपूर्ति होती है तो हर वस्तु की कीमत कम होती है लेकिन विद्युत कंपनियां एक बार पुनः लगभग 4000 हज़ार करोड़ के घाटे की भरपाई करने सरकार के समक्ष फरियादी बनकर खड़ी हैं। आए दिन हो रही अघोषित विद्युत कटौती व दर बढ़ाने का प्रस्ताव इस बात को दर्शाता है कि सब कुछ अच्छा नहीं है।
विद्युत नियामक आयोग शासन का मुखौटा
विद्युत नियामक आयोग शासन का मुखौटा
हिमांशु खरे ने बताया कि विद्युत नियामक आयोग की गरिमा दिन प्रतिदिन खंडित हो रही है तथा इस संस्था ने कभी भी जनमानस की हितों के अनुरूप निर्णय नहीं लिए। उन्होंने कहा कि आयोग अपने दायित्वों का निर्वहन करने असफल साबित हुआ है तथा शासन की मंशा के अनुरूप कार्य करता है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।
न्यूनतम ऊर्जा शुल्क
न्यूनतम ऊर्जा शुल्क
जबलपुर चैम्बर के डीके खंडेलवाल ने बताया कि दायर नवीन याचिका जो कि संदर्भित आम सूचना दिनांक 10 फरवरी 2022 द्वारा प्रकाशित की गई है, के अवलोकन से ज्ञात होता है कि, याचिकाकर्ताओं द्वारा निर्देशानुसार याचिका दायर नहीं की है, तथा आयोग के निर्देश दिनांक 25 जनवरी 2022 का उल्लंघन किया गया है। जिसमें मुख्यत: याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रत्येक श्रेणी के उपभोक्ताओं हेतु प्रस्तावित टेरिफ शेड्यूल में "न्यूनतम उर्जा शुल्क" वसूलने का प्रस्ताव किया गया है, जिसका प्रावधान संदर्भित टेरिफ रेगुलेशन 2021 में नहीं है। इसके अतिरिक्त विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 45(3) (क) का में भी स्पष्ट प्रावधान है कि वितरण कंपनियां नियत प्रभार के अलावा मात्र वास्तविक प्रदाय की गई विद्युत का शुल्क ही ले सकेंगी। प्रत्येक श्रेणी के उपभोक्ताओं हेतु प्रस्तावित टैरिफ शेड्यूल में "न्यूनतम ऊर्जा प्रभार" को पूर्णता खारिज करते हुए संदर्भित याचिका का निराकरण करें, जो कि आयोग के आदेश दिनांक 25 जनवरी 2022 व विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 45(3) (क) का सम्मान होगा।