सूर्योदय के साथ नवरात्रि होगी शुरू
ज्योतिषाचार्य पंडित वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी बताते हैं कि सूर्योदय के साथ नवरात्रि शुरू हो जाएगी। कलश स्थापना के लिए सुबह में ब्रह्म मुहूर्त से लेकर दिनक में 8रू39 बजे तक सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। इसके बाद वैघृति योग आ जाएगा। इसलिए दिन में 11रू30 बजे से दोपहर 1रू30 बजे तक अभिजि काल में कलश स्थापन किया जाना प्रशस्त है। इसके बाद मध्य रात्रि से पूर्व और गोधूली वेला के बीच में कलश स्थापन किया जा सकता है। इस वर्ष नवरात्रि काल पूर्णतरू नौ दिनों का है। इसलिए नवरात्रि व्रतियों का पारण दसवें दिन ही होगा। महानिशा पूजा सप्तमी तिथि की रात्रि को अष्टमी तिथि भोग कर रही है। इसलिए महानिशा पूजा और विभिन्न घरों में लोक परंपरा के अनुसार की जानेवाली माता की पूजा भी इसी रात में होगी।
रेवती नक्षत्र होगा लाभकारी
चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। सूर्य अपने क्रांति वृत पर रेवती नक्षत्र में रहेंगे। इसलिए यह साल प्रतिपदा की तिथि में भगवती की अराधना धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि देनेवाली होगी। नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा जीवन में सुख समृद्धि और शांति लाती है। नवरात्र में कलश स्थापना, जौ बोने, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने, हवन और कन्या पूजन से मां प्रसन्न होती हैं।
किस दिन मां के किस स्वरूप की होगी पूजा
बता दें कि प्रथम नवरात्र को मां शैलपुत्री, द्वितीय नवरात्र को मां ब्रहाचारिणी, तृतीय नवरात्र को मां चन्द्रघण्टा, चतुर्थ को कूष्माण्डा, पंचम को मां स्कन्दमाता, षष्ठ को मां कात्यायनी, सप्तम को मां कालरात्री, अष्टम को मां महागौरी, नवमी् को मां सिद्धिदात्री के पूजन का विधान है।