'सांसदों-विधायकों की भी होती है निजता, 24 घंटे कैसे हो सकती है निगरानी', सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका - Khabri Guru

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'सांसदों-विधायकों की भी होती है निजता, 24 घंटे कैसे हो सकती है निगरानी', सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका


नई दिल्ली। बेहतर प्रशासन के लिए सांसदों, विधायकों की 24 घंटे डिजिटल निगरानी की मांग वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि सांसदों, विधायकों की भी निजता होती है, 24 घंटे निगरानी कैसे हो सकती है। क्या उनके शरीर में चिप लगा दी जाए? ये कैसी मांग है। कोर्ट ने याचिका को आधारहीन मानते हुए याचिका खारिज कर दिया।

याचिका में की गई थी निगरानी की मांग
दिल्ली के रहने वाले डाक्टर सुरेन्द्र नाथ कुंद्रा ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर मांग की थी कि सांसदों विधायकों की 24 घंटे डिजिटल निगरानी होनी चाहिए। यह याचिका शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगी थी।

पीठ ने मामले पर सुनवाई की शुरुआत में ही याचिका पर सवाल उठाते हुए कुंद्रा को चेताया था कि अगर वे इस याचिका पर बहस करेंगे और कोर्ट ने उनकी दलीलें स्वीकार नहीं कीं, तो अदालत का समय बर्बाद करने के लिए उन पर पांच लाख का जुर्माना लगाया जाएगा, जिसकी वसूली भू-राजस्व के रूप में की जा सकती है।

पीठ ने क्या कहा?
कैमरे लगाए जाने चाहिए ताकि 24 घंटे उनकी डिजिटल निगरानी हो। उनकी इस दलील पर पीठ ने कहा कि आपको अहसास है कि आप क्या दलील दे रहे हैं। आप सांसदों विधायकों की 24 घंटे निगरानी की मांग कर रहे हैं। ये कैसे हो सकता है? सांसदों विधायकों की भी निजता होती है। आपके मुताबिक क्या उनके शरीर में चिप लगा दी जाए 24 घंटे निगरानी के लिए। ऐसा तो दोषी अपराधियों के लिए होता है जो भाग सकता है।

कुंद्रा ने कहा कि सांसद विधायक जनता के वेतनभोगी होती हैं चुने जाने के बाद शासक की तरह व्यवहार करने लगते हैं। पीठ ने कहा कि आप सभी सांसदों विधायकों के लिए ऐसा नहीं कह सकते। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि दुनिया के किसी भी लोकतंत्र में कोई व्यक्ति कानून नहीं बनाता है उनके चुने हुए प्रतिनिधि ही कानून बनाते हैं। कोर्ट ने कहा जैसी आपकी मांग है ऐसे में तो लोग कहेंगे कि हमें न्यायाधीशों की जरूरत नहीं है हम सड़कों पर फैसला कर लेंगे और चोरी के आरोपी को मार डालेंगे, तो क्या हम चाहते हैं, ऐसा हो।

कोर्ट ने याचिका को बताया आधारहीन
कोर्ट ने याचिका को आधारहीन पाते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने आदेश में दर्ज किया कि याचिकाकर्ता को शुरू में ही चेतावनी दी गई थी कि मामले में बहस करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है हालांकि कोर्ट जुर्माना लगाने के बजाए भविष्य में ऐसी याचिका न दाखिल करने की चेतावनी देते हुए छोड़ रहा है।


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