महापौर जगत बहादुर सिंह अनु द्वारा भाजपा का दामन थाम लेने के बाद पुरानी मेयर इन काउंसिल समाप्त हो गई थी। जिसके चलते काफी समय से नई मेयर इन काउंसिल के लिए नामों को लेकर जद्दोजहद का दौर भी चल रहा है। आपसी सामंजस्य न होने के कारण मेयर इन काउंसिल के लिए 10 नाम पर मोहर नहीं लग पा रही है। बताया गया है कि नए बजट को पेश करने के पहले संविधान में मेयर इन काउंसिल होने की आवश्यकता को देखते हुए फिलहाल पांच नाम घोषित कर उनके विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया है। जानकार सूत्रों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी ने मेयर इन काउंसिल गठन को भी रोककर रखा था। इसी माह नगर निगम का सालाना बजट भी पेश होना है। सदन में बजट पेश करने से पहले उसको मेयर इन काउंसिल की मंजूरी मिलना आवश्यक है। इसलिए लिहाज से एमआईसी की जरुरत थी।
बताया गया है कि नगर निगम एक्ट के मुताबिक मेयर इन काउंसिल में कम से कम 10 सदस्य रहेंगे लेकिन न्यूनतम संख्या 5 निर्धारित है। यही वजह है कि पांच सदस्य की मेयर इन काउंसिल का गठन में किया गया। जिसमें ऐसे नाम शामिल किए गए हैं जिनको लेकर फिलहाल कोई विवाद नहीं है जबकि विवादित नाम को लेकर कोई फैसला नहीं होने के कारण उन्हें फिलहाल रोक दिया गया है।